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Bihar Politics: बीजेपी के 'चक्रव्यूह' में फंसकर रह गए नीतीश कुमार, बिहार में सिस्टमैट - Printable Version

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Bihar Politics: बीजेपी के 'चक्रव्यूह' में फंसकर रह गए नीतीश कुमार, बिहार में सिस्टमैट - Deepika Gupta - 05-13-2023

नीतीश कुमार के कभी काफी करीबी रहे तीन बड़े नेता अब उनके साथ नहीं हैं। आरसीपी सिंह, प्रशांत किशोर उपेंद्र कुशवाहा तो पार्टी से अलग होते ही नीतीश के जानी दुश्मन जैसे हो गए हैं। प्रशांत किशोर अपनी जन सुराज यात्रा में नीतीश की कलई खोल रहे। आरसीपी नीतीश के लिए PM का मतलब पलटी मार बता रहे तो उपेंद्र कुशवाहा अपना ‘कुश’ लेकर किनारे हो गए हैं। बिहार के राजनीतिक हालात की पड़ताल करती रिपोर्ट /

पटना: नीतीश कुमार से निपटने के लिए बीजेपी किसी मशक्कत की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने खुद ही अपने लोगों की ऐसी जमात खड़ी कर दी है, जो उनकी बखिया उधेड़ने के लिए काफी है। ऐसे लोगों में विशेष रूप से तीन नाम उल्लेखनीय हैं। पहला नाम रामचंद्र प्रसाद (RCP Singh) दूसरा पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर और तीसरा नाम उपेंद्र कुशवाहा का है। तीनों कभी नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद लोग माने जाते थे। अब वे उतने ही बड़े दुश्मन के रूप में नीतीश से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं।


आरसीपी सिंह दिल्ली जाकर बीजेपी के आदमी बने
नीतीश कुमार के स्वजातीय और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके आज की तारीख में नीतीश कुमार के सबसे बड़े दुश्मन बन गए हैं। बिहार में कुछ दिन पहले शुरू हुए ऑपरेशन लोटस की कड़ी में अब आरसीपी सिंह भी जुड़ गए हैं। उन्होंने दिल्ली में धर्मेंद्र प्रधान और अरुण सिंह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल होने की घोषणा गुरुवार को कर दी। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में रह चुके आरसीपी को इसलिए मंत्री पद छोड़ना पड़ा था, क्योंकि जेडीयू ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा नहीं भेजा। नीतीश को इस बात से कोफ्त थी कि उनकी मनाही के बावजूद आरसीपी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला किया। मंत्री बनते ही नीतीश कुमार ने उनसे अध्यक्ष पद छीन कर राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को सौंप दिया। अगली बार राज्यसभा नहीं भेजा, जिससे उनका मंत्री पद छिन गया। उन्हें निकालने के लिए नीतीश ने तरह-तरह के व्यूह रचे। तब से आरसीपी नीतीश के विरोधी तो थे, किसी दल से जुड़ नहीं पाए थे।


BJP में जाते ही नीतीश को खूब सुनाया RCP ने

बीजेपी ज्वाइन करते ही आरसीपी ने नीतीश कुमार को खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने उनके विपक्षी एकता के प्रयासों पर तंज कसा। नीतीश के C प्रेम को उन्होंने रेखांकित किया। कहा कि नीतीश को क्राइम और करप्शन से चिढ़ है। वे इसकी माला जपते रहते हैं। उन्हें शर्म भी नहीं आती। सच्चाई यह है कि C से बना शब्द ‘चेयर’ ही उनको अधिक भाता है। उन्होंने चेयर के चक्कर में अपनी छवि PM (पलटी मार) की बना ली है। PM (प्राइम मिनिस्टर) तो कभी नहीं बन सकते। अगर भ्रम हो तो वे 2019 की विपक्षी एकता के लिए निकले चंद्रबाबू नायडू का हस्र देख लें। वे पीएम तो बन नहीं सके, सीएम की कुर्सी भी चली गई।

PK शराबबंदी और शिक्षा पर घेर रहे नीतीश को

चुनावी रणनीतिकार बन कर नीतीश को ताज पहनाने वाले प्रशांत किशोर कभी नीतीश कुमार की आंखों की नूर थे। जेडीयू में उनकी पूछ इस कदर बढ़ गई कि नीतीश ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर अनबन हुई तो नीतीश ने उन्हें भी ठिकाने लगा दिया। अब तो अपनी जन सुराज यात्रा में प्रशांत किशोर पानी-पानी पी-पीकर नीतीश की बखिया उधेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते। बिहार में बेकाबू अपराध, खराब शिक्षा व्यवस्था, शराबबंदी कानून की विफलता को लेकर वे नीतीश पर लगातार हमलावर बने हुए हैं। शिक्षा की बदहाली पर उनका तंज ऐसा कि सुनने वाले हंसी नहीं रोक पाते और सच सुन कर माथा भी पीट लेते हैं। प्रशांत कहते हैं कि बिहार के शिक्षण संस्थानों में अब दो ही चीजें आसानी से मिलती है- खिचड़ी और डिग्री। कालेजों में पढ़ने वाले छात्र तीन ही बार कॉलेज जाते हैं। पहली बार एडमिशन के लिए, दूसरी बार एडमिट कार्ड के लिए और आखिरी बार डिग्री लेने के लिए। शराबबंदी की सफलता का सच यह है कि शराब की दुकानें बंद हो गईं, पर होम डिलीवरी होने लगी।

नीतीश के खिलाफ उपेंद्र कुशवाहा ने RLJD बनाया

नीतीश कुमार ने जिस लव-कुश समीकरण के सहारे सत्ता पाने में कामयाबी हासिल की, उसकी पृष्ठभूमि तैयार करने में सबसे बड़ी भूमिका उपेंद्र कुशवाहा की रही थी। हालांकि बाद में उपेंद्र ने अलग राह पकड़ ली, पर उसी समीकरण के सहारे नीतीश सत्ता का सुख भोगते रहे। उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर नीतीश के सहयोगी बने, पर पार्टी ने उन्हें झुनझुना थमा दिया। एक अदद एमएलसी की सीट उन्हें दी। नरेंद्र मोदी ने तो महज तीन सांसदों वाले दल के नेता होने के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा को अपने मंत्रिमंडल में जगह दे दी। मोदी से उनकी कोई पुरानी दोस्ती या जान-पहचान भी नहीं थी। लेकिन पुराने साथी होने के बावजूद नीतीश ने कुशवाहा को महज एमएलसी बनाया। तेजस्वी यादव को नीतीश ने जब अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तो उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू की चिंता की। झटके में नीतीश ने उनसे पल्ला झाड़ लिया। हार कर उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी फिर पार्टी बनाई। आरएलजेडी के बैनर तले अब वे नीतीश की खटिया खड़ा करने में जी-जान से जुटे हैं। उन्होंने कुशवाहा वोटों पर धावा बोल दिया है।

मीना सिंह, सुहेली मेहता जैसे और भी कई दुश्मन
इधर आरजेडी से जेडीयू के तालमेल से खफा नेताओं के जेडीयू छोड़ने का सिलसिला थम नहीं रहा है। पूर्व सांसद मीना सिंह, पार्टी प्रवक्ता रहीं सुहेली मेहता और शंभुनाथ सिन्हा जैसे लोगों के साथ कार्यकर्ता लगातार जेडीयू को बाय बोल रहे हैं। उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव करीब आने पर जेडीयू में भगदड़ और तेज होगी।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क /


RE: Bihar Politics: बीजेपी के 'चक्रव्यूह' में फंसकर रह गए नीतीश कुमार, बिहार में सिस्टमैट - xandraa - 06-13-2024

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