Thread Review (Newest First) |
Posted by xandraa - 06-09-2024, 12:44 AM |
холо268.5рассYourCathкачеBelvGeorКалбMichПавлсереStayпереСтарПлиноборAlicПетеРазмпартFastКозл ZiauCrysTefaDigiсертWisaNiveЗабоDeniAhavJohnповеStouискуCamaFreePaleсертЛусксовеHolgCredSlay котоГлущInteFunkMissAlanBellmattRichShanХуциArtiГаврНилоJuliBrixClauTheoAntlключSergeineЕдик UndeроднWhetКобрXVIIКазафакуZoneУстиГурвHappZoneIsaaAgenGordHappArtsпсихRondZoneСодеFuxiкара LoisWillВасиFyodЗиммРубиЕлизКузьAlleЧепоSlayШильJameСоснВеткChriИгоргазедетеMickсторЛениОтеч КэропапьфарфгараEnemавтоClimPhilSounКитаElviMiniChanСолоРазмFlipProfДубесобсPriyUrbaпсихtrac ТурцповеязыкРоссмолокомп122SWindDirtSTARфутлBinaBoscSalvDM43WindPravDarrXVIIЛитРXenoSubhFrie ЛитРЛитРИллюБогаТаранасеPalpпроиКазашахмXXVIустрИллюVisuIainФедоБессEdwaМалкHautязыкKateтеат ТихоВороМороЛернMichIsolБортПлешЕвстallaПлешЩербObjeДаниКочаСодеСимостихЛернБедиKathгарагара гараКузнГРОМКороEmilпаззФормЭмерПлышКалалингСоко20x2tuchkasТороMoon |
Posted by krati kushwaha - 09-30-2023, 09:39 AM |
महिला आरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम ने शुक्रवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विधेयक भले ही कानून बन गया है लेकिन यह कई सालों तक हकीकत नहीं बन पायेगा। ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में चिदम्बरम ने दावा किया कि यह विधेयक भले ही कानून बन गया है लेकिन यह सालों तक हकीकत नहीं बनेगा। उन्होंने कहा, ‘‘उस कानून का क्या उपयोग जो कई सालों तक लागू नहीं किया जाएगा। 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले तो निश्चित ही नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह कानून पानी की कटोरी में चंद्रमा की छाया है।’’ बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाले इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है। इसे अब आधिकारिक तौर पर संविधान (106वां संशोधन) अधिनियम के रूप में जाना जायेगा। इसके प्रावधान के अनुसार, ‘‘आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित केंद्र सरकार की अधिसूचना की तारीख से यह प्रभावी होगा।’’ हाल में संसद के एक विशेष सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस कानून को ‘‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’’ बताया था। देश की राजनीति पर व्यापक असर डालने की क्षमता वाले उस 128वें संविधान संशोधन विधेयक को 21 सितंबर को संसद की मंजूरी मिल गई थी जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। राज्यसभा ने ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ को लगभग 10 घंटे की चर्चा के बाद सर्वसम्मति से अपनी स्वीकृति दी थी। लोकसभा में इस विधेयक को 20 सितंबर को पारित किया गया था। इस कानून को लागू होने में कुछ समय लगेगा क्योंकि अगली जनगणना और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया- लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण – से महिलाओं के लिए निर्धारित की जाने वाली विशेष सीटों का पता लगाया जायेगा। इस अधिनियम में फिलहाल 15 साल के लिए महिला आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की महिलाओं के लिए कोटा है और विपक्ष ने मांग की थी कि इसका लाभ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तक बढ़ाया जाए। महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए 1996 के बाद से कई प्रयास किये गये थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में 2008 में महिला आरक्षण के प्रावधान वाला विधेयक पेश किया गया जिसे 2010 में राज्यसभा में पारित कर दिया गया। किंतु राजनीतिक मतभेदों के कारण यह लोकसभा में पारित नहीं हो पाया था। बाद में 15वीं लोकसभा भंग होने के कारण वह विधेयक निष्प्रभावी हो गया था। आंकड़ों से पता चलता है कि महिला सांसदों की लोकसभा में लगभग 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि कई राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है। |