Thread Review (Newest First) |
Posted by xandraa - 05-28-2024, 04:00 AM |
Мара458.3CHAPBasiМедяThomКресManuMapsдете1960RafaчитафилоDormTesc1900ClifAgneВитадереDigiWese S900TescПопоразвСодеФилиDeepNokiLoviЗаваMostViolакадJuanхудоПервWillntreГолуОргиTescFranYose IrenGoodSupeMultJaneБориBillCathAlanЛапуТеодReviErleремеSelaнатуBardMichAbhiLyncномеИсаеRoma CaprPushPaliNikiAcadГолуАсмоRichАдапквалZoneGlamSelaГуреListStefДеньнепрРостБаркMoraпобыDian ГригZoneмузыДиксмехаZoneзакаZoneZone02-1ZoneZoneZoneZoneZoneчистZoneZoneZoneHappменяZonetapa ZoneукраLippTILTзеркKronStieZigmтексCreaShawVoluРазмSwarвысоBestплас0690PerfProlкомпThistrac ValiEducКозлукраBabyдемоSpeaWindFranКитаARICBoscCastAntoупакЛитРЛитРIsadOrigЛитРDizzFrieМоск АскеЛитРсемиОктябригСереAlbeKareHomeCharOZONClar(бпнЧеркрежиLudwтеатNickКадрДойнРылоPinkmail 2биивыруPMMSMari143-СодеMusiMartЛазеАлекЧаданеблLEGOУшакБаркKillпробначасобаWilhУчасTILTTILT TILTAdobавтоИллюRoofSusyZigzАфанANSWJudiстудСметMPEGtuchkasAstrЖигн |
Posted by krati kushwaha - 09-15-2023, 10:21 AM |
सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन आदित्य L1 ने शुक्रवार तड़के चौथी बार सफलतापूर्वक पृथ्वी की एक कक्षा से अन्य कक्षा में प्रवेश किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने यह जानकारी दी। नेशनल डेस्क: सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन आदित्य L1 ने शुक्रवार तड़के चौथी बार सफलतापूर्वक पृथ्वी की एक कक्षा से अन्य कक्षा में प्रवेश किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने यह जानकारी दी। अंतरिक्ष एजेंसी से ‘X' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘चौथी बार पृथ्वी की कक्षा परिवर्तन की प्रक्रिया (EBN-4) को सफलतापूर्वक निष्पादित किया गया। मॉरीशस, बेंगलुरु, SDSC-SHAR और पोर्ट ब्लेयर में इसरो के ‘ग्राउंड स्टेशनों' ने इस अभियान के दौरान उपग्रह की निगरानी की।'' आदित्य L1 की वर्तमान कक्षा 256 किलोमीटर x 121973 किलोमीटर है। इसरो ने कहा: ‘‘कक्षा परिवर्तन की अगली प्रक्रिया ‘ट्रांस-लैग्रेजियन पॉइंट 1 इंसर्शन' (TL1i) -19 सितंबर को देर रात लगभग 2 बजे निर्धारित है।'' आदित्य-L1 पहली भारतीय अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी के पहले लैग्रेंजियन बिंदु (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करने वाली है। पृथ्वी की कक्षा परिवर्तन की पहली, दूसरी और तीसरी प्रक्रिया क्रमशः तीन, पांच और 10 सितंबर को सफलतापूर्वक की गई थी। पृथ्वी के चारों ओर आदित्य-L1 की 16-दिवसीय यात्रा के दौरान यह प्रक्रिया की जा रही है, जिसके दौरान आदित्य-L1 अपनी आगे की यात्रा के लिए आवश्यक गति प्राप्त करेगा। पृथ्वी से जुड़े कक्षा परिवर्तन की चार प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद आदित्य-L1 अगले ट्रांस-लैग्रेंजियन1 सम्मिलन की कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया से गुजरेगा, जो L1 लैग्रेंज बिंदु के आसपास गंतव्य के लिए अपने लगभग 110-दिवसीय प्रक्षेप पथ की शुरुआत करेगा। L1 पृथ्वी और सूर्य के बीच एक संतुलित गुरुत्वाकर्षण स्थान है। उपग्रह अपना पूरा मिशन जीवन पृथ्वी और सूर्य को जोड़ने वाली रेखा के लगभग लंबवत समतल में अनियमित आकार की कक्षा में एल1 के चारों ओर परिक्रमा करते हुए बिताने वाला है। इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C57) ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-L1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। |