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Reply to thread: दिल्ली ना आना जिनपिंग को पड़ेगा बहुत भारी, हो रही है भारत, अमेरिका और गल्फ देशों के ब
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Posted by xandraa - 07-09-2024, 06:49 AM
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Posted by xandraa - 05-13-2024, 07:09 PM
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Posted by krati kushwaha - 09-09-2023, 08:32 AM
India US Gulf railway deal : भारत, यूएस और गल्फ देश मिलकर जी20 समिट में एक रेलवे डील की घोषणा कर सकते हैं। यह रेलवे डील मिडिल ईस्ट में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए होगी। यह योजना गल्फ और अरब देशों को एक रेल नेटवर्क से जोड़ने का प्रयास करेगी।

हाइलाइट्स

  • भारत, यूएस और गल्फ देश जी20 समिट में कर सकते हैं रेलवे डील की घोषणा
  • मिडिल ईस्ट में चीन के प्रभाव को कम करने की होगी कोशिश
  • बंदरगाहों से शिपिंग मार्गों के माध्यम से भारत भी इस नेटवर्क से जुड़ेगा

नई दिल्ली : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) का दिल्ली ना आना उनके लिए बहुत भारी पड़ सकता है। जी20 समिट (G20 Summit) के दौरान मिडिल ईस्ट में चीन के प्रभाव को कुचलने का फैसला देखने को मिल सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत, सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं के बारे में अटकलें हैं कि वे G20 सम्मेलन में एक जॉइंट इंफ्रास्ट्रक्चर डील की घोषणा करेंगे। यह डील अमेरिका के उन प्रयासों का हिस्सा होगी, जो चीन के मिडिल ईस्ट में बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए हो रहे हैं। Axios के अनुसार, यह योजना गल्फ और अरब देशों को एक रेल नेटवर्क (Rail Network) से जोड़ने का प्रयास करेगी। रिपोर्ट में कहा गया कि यह क्षेत्र के बंदरगाहों से शिपिंग मार्गों के माध्यम से भारत को भी जोड़ेगा।

भारत और अमेरिका इसलिए हुए अलर्ट

2005 से 2022 के बीच चीन ने मिडल-ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका में 273 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। अधिकतर निवेश इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर में हुआ है। कई देशों ने चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना स्वीकार किया है। क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से भारत और अमेरिका अलर्ट हो गए हैं।

अमेरिका कर रहा इस पर काम

बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने जी-20 में किसी संभावित घोषणा पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन नई दिल्ली के लिए रवाना होने के दौरान उन्होंने संवाददाताओं से कहा था कि यह एक ऐसी पहल है जिसमें अमेरिका अपने भागीदार देशों के साथ निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि भारत से लेकर मध्य पूर्व और फिर यूरोप तक की कनेक्टिविटी अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह सभी संबंधित देशों को आर्थिक और सामरिक लाभ प्रदान करेगा।' इस साल की शुरुआत में सुलिवन सऊदी अरब गए थे, जहां उन्होंने इस मुद्दे पर भारत और यूएई के प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत की थी।


सऊदी अरब और यूएई जा रहे चीन के करीब

अमेरिका के सहयोगी सऊदी अरब और यूएई चीन के करीब आ रहे हैं। क्योंकि वे तेजी से बढ़ते पूर्वी देशों के साथ संबंध मजबूत करना चाह रहे हैं। पिछले महीने दोनों तेल से समृद्ध खाड़ी देशों ने ब्रिक्स समूह में शामिल होने की घोषणा की थी, जो उभरते बाजार वाले देशों का समूह है। चीन ने इस ग्रुप में सदस्यता को खोलने के लिए एक अभियान चलाया था। ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के नेता समूह के प्रभाव को बढ़ाने और वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार पर अमेरिकी प्रभुत्व को कम करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें अमेरिकी डॉलर की भूमिका भी शामिल है।

चीन भी चल रहा चाल

हाल के वर्षों में अमेरिका ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मुकाबला करने की कोशिश की है। इसने उभरते बाजारों में अरबों डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर को फंडिंग दी है। चीन ने भी हाल ही में मिडिल ईस्ट में अपनी बढ़ती भागीदारी को मजबूत किया है और इस साल की शुरुआत में सऊदी अरब और ईरान के बीच एक समझौता कराने में मदद की है। शी जिनपिंग अगले महीने बेल्ट एंड रोड शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित दुनिया के नेताओं की मेजबानी करने जा रहे हैं।

रेल नेटवर्क से हमें क्या होगा फायदा?

चीन को मात देने के लिए अमेरिका, यूएई और सऊदी अरब को साथ लेकर भारत विशाल रेल नेटवर्क खड़ा करेगा। इस प्रोजेक्ट पर काम हुआ तो वेस्ट एशिया में रेल लाइनों का जाल बिछेगा। इन रेल नेटवर्क को बंदरगाहों से जोड़ा जाएगा। भारत पहले से ही मोजाम्बिक और मॉरीशस जैसे देशों में रेलवे प्रोजेक्‍ट्स पर काम कर रहा है। भारत के लिहाज से यह प्रोजेक्ट बेहद महत्वपूर्ण है। चार देशों के साथ आने से इलाके में चीन के बढ़ते इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर डिवेलपमेंट को काउंटर किया जा सकेगा। इतने बड़े प्रोजेक्ट से ग्लोबल लेवल पर भारत की साख बढ़ेगी। मिडल-ईस्‍ट के देशों को एक मजबूत साथी चाहिए और भारत उस कमी को पूरा कर सकता है। अभी चीन के प्रति उनका झुकाव भारत को परेशान कर रहा है।