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Fitch: भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ पर आया अपडेट, फिच ने 6.3 प्रतिशत का लगाया अनुमान, महंगा
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Economic Growth Forecast: रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने चालू वित्त वर्ष के लिये भारत की आर्थिक ग्रोथ का अनुमान जारी कर दिया है. इस बार रेटिंग एजेंसी ने इसे 6.3 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा है.

Fitch Ratings on Economic Growth: रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने चालू वित्त वर्ष के लिये भारत की आर्थिक ग्रोथ (indian economic growth) का अनुमान जारी कर दिया है. इस बार रेटिंग एजेंसी ने इसे 6.3 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा है. फिच एजेंसी (Fitch Agency) ने कहा है कि कड़ी मौद्रिक नीति और निर्यात में कमी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है. इंडियन इकोनॉमी में कोरोना के बाद से काफी सुधार देखने को मिला है. हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने अल नीनो की आशंका के कारण मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाया है.

GDP ग्रोथ दर 7.8 प्रतिशत रही

आपको बता दें सर्विस सेक्टर के मजबूत प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही है. फिच ने कहा है कि कड़ी मौद्रिक नीति और निर्यात में कमी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है. देश की आर्थिक वृद्धि दर क्षेत्र के अन्य देशों के मुकाबले कहीं बेहतर है.

अगले वित्त वर्ष के लिए कितना है अनुमान?

रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिये आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष के लिये 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.

निर्यात समेत ये आंकड़ा रह सकता है कम

फिच ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की रिपोर्ट में हालांकि कहा कि निर्यात, बिजली खपत, माल ढुलाई जैसे आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि दर नरम रह सकती है.

जुलाई-सितंबर तिमाही में ग्रोथ हो सकती है कम

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि दर धीमी पड़ने की आशंका है. इसका कारण यह है कि निर्यात लगातार कमजोर हो रहा है, ऋण वृद्धि स्थिर है और भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम द्विमासिक उपभोक्ता भरोसा सर्वेक्षण से पता चलता है कि उपभोक्ताओं में आय तथा रोजगार की संभावनाओं को लेकर कुछ निराशाजनक धारणा बन रही है.

मुद्रास्फीति का दिखेगा असर
 
मुद्रास्फीति के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई खासकर खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में अस्थायी तौर पर जो वृद्धि हुई है, उससे आने वाले महीनों में सोच-विचाकर कर किए जाने वाले उपभोक्ता खर्च पर अंकुश लग सकता है. इसमें कहा गया है कि उपभोक्ताओं पर मुद्रास्फीति का प्रभाव अस्थायी हो सकता है लकिन अन्य बुनियादी चीजें अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं.

आरबीआई की मौद्रिक नीति का दिखेगा असर


फिच ने कहा है कि भारत वैश्विक आर्थिक नरमी से अछूता नहीं रहेगा और घरेलू अर्थव्यवस्था पिछले वर्ष आरबीआई के नीतिगत दर में 2.5 फीसदी की वृद्धि के प्रभाव से प्रभावित होगी. वहीं, कमजोर मानसून आरबीआई के मुद्रास्फीति नियंत्रण को जटिल बना सकता है. रेटिंग एजेंसी ने अल नीनो प्रभाव का हवाला देते हुए 2023 के अंत तक खुदरा मुद्रास्फीति 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो पूर्व में जताये गये पांच प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा है.
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