05-17-2023, 09:37 AM
नई दिल्ली. भारतीय रेलवे हर दिन करोड़ों लोगों को सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाती है. इसमें नई तकनीकों का तो योगदान है ही लेकिन बहुत बड़ा योगदान ट्रेन के चालकों का भी है. ट्रेन के चालकों को लोको पायलट कहा जाता है. हर ट्रेन में 2 चालक होते हैं. पहला मुख्य लोको पायलट और दूसरा असिस्टेंट लोको पायलट. लेकिन केवल यही दोनों चालक ही ट्रेन को शुरू से लेकर अंत तक नहीं चलते हैं. बीच में चालक बदले भी जाते हैं. क्योंकि एक ही व्यक्ति अगर ट्रेन को लेकर चलता रहेगा तो थकान के कारण कोई न कोई गलती होने की आशंका बनी रहेगी जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है.
ट्रेन के चालक कितनी देर बाद शिफ्ट चेंज करते हैं इसे लेकर न्यूज18 के विशेष संवाददाता शरद पांडेय ने उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार के साथ बात की. दीपक कुमार ने बताया कि ट्रेन के ड्राइवर व गार्ड की शिफ्ट के लिए रोस्टर बना होता है. वैसे तो इनकी शिफ्ट 1 दिन में 8 घंटे की ही होती है लेकिन जरूरत के हिसाब से टाइमिंग ऊपर नीचे होती रहती है. उन्होंने बताया कि कई बार चालकों से केवल 4 घंटे की शिफ्ट ली जाती है तो कई बार यह 9 घंटे या उससे भी ऊपर चली जाती है. अतिरिक्त समय के लिए चालकों को ओवरटाइम का भुगतान किया जाता है.
ये भी पढ़ें- दिल्ली-भोपाल रूट पर ही सबसे तेज क्यों दौड़ती है ट्रेन, क्या है इसकी वजह, 100 में से 99 लोगों को नहीं मालूम!
कितनी बार बदलते हैं चालक
पैसेंजर गाड़ी के चालकों की शिफ्ट 8 घंटे से अधिक की नहीं होती है. इसलिए अपवादों को छोड़कर अमूमन 8 घंटे बाद उन्हें बदल दिया जाता है. इसे उदाहरण से समझें तो अगर कोई ट्रेन दिल्ली से शाम 4 बजे पटना के लिए निकली है और वह 8 घंटे बाद लखनऊ पहुंचती है तो मौजूदा चालक दल को वहां बदल दिया जाएगा. उससे आगे 8 घंटे या की दूरी दूसरे चालक दल द्वारा पूरी की जाएगी. अगर पटना 8 घंटे से पहले ही आ जाए तो दूसरे चालक दल की शिफ्ट कम समय की हो जाएगी. इससे उन्हें मिलने वाले विश्राम के समय पर अंतर पड़ता है.
घर बैठे बुक करें अनरिजर्व्ड रेल टिकट
घर बैठे बुक करें अनरिजर्व्ड रेल टिकटआगे देखें...
8 घंटे में नहीं आया कोई स्टेशन तो?
कई बार ऐसा भी होता है कि 8 घंटे पूरे हो गए हों लेकिन ट्रेन अभी किसी स्टेशन के पास न पहुंची हो जहां उसके स्टॉपेज तय है. ऐसी स्थिति में क्या लोको पायलट ट्रेन को बीच में ही छोड़कर चल देगा? नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं होता है. रेलवे के अधिकारी के अनुसार, अगर चालक की शिफ्ट पूरी हो गई है लेकिन स्टेशन अभी दूर है तो वही उस ट्रेन को लेकर अगले निर्धारित स्टॉप तक लेकर जाएगा. इसे ओवरटाइम में गिना जाएगा. चालक को इस ओवरटाइम का अलग से भुगतान किया जाए
ट्रेन के चालक कितनी देर बाद शिफ्ट चेंज करते हैं इसे लेकर न्यूज18 के विशेष संवाददाता शरद पांडेय ने उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार के साथ बात की. दीपक कुमार ने बताया कि ट्रेन के ड्राइवर व गार्ड की शिफ्ट के लिए रोस्टर बना होता है. वैसे तो इनकी शिफ्ट 1 दिन में 8 घंटे की ही होती है लेकिन जरूरत के हिसाब से टाइमिंग ऊपर नीचे होती रहती है. उन्होंने बताया कि कई बार चालकों से केवल 4 घंटे की शिफ्ट ली जाती है तो कई बार यह 9 घंटे या उससे भी ऊपर चली जाती है. अतिरिक्त समय के लिए चालकों को ओवरटाइम का भुगतान किया जाता है.
ये भी पढ़ें- दिल्ली-भोपाल रूट पर ही सबसे तेज क्यों दौड़ती है ट्रेन, क्या है इसकी वजह, 100 में से 99 लोगों को नहीं मालूम!
कितनी बार बदलते हैं चालक
पैसेंजर गाड़ी के चालकों की शिफ्ट 8 घंटे से अधिक की नहीं होती है. इसलिए अपवादों को छोड़कर अमूमन 8 घंटे बाद उन्हें बदल दिया जाता है. इसे उदाहरण से समझें तो अगर कोई ट्रेन दिल्ली से शाम 4 बजे पटना के लिए निकली है और वह 8 घंटे बाद लखनऊ पहुंचती है तो मौजूदा चालक दल को वहां बदल दिया जाएगा. उससे आगे 8 घंटे या की दूरी दूसरे चालक दल द्वारा पूरी की जाएगी. अगर पटना 8 घंटे से पहले ही आ जाए तो दूसरे चालक दल की शिफ्ट कम समय की हो जाएगी. इससे उन्हें मिलने वाले विश्राम के समय पर अंतर पड़ता है.
घर बैठे बुक करें अनरिजर्व्ड रेल टिकट
घर बैठे बुक करें अनरिजर्व्ड रेल टिकटआगे देखें...
8 घंटे में नहीं आया कोई स्टेशन तो?
कई बार ऐसा भी होता है कि 8 घंटे पूरे हो गए हों लेकिन ट्रेन अभी किसी स्टेशन के पास न पहुंची हो जहां उसके स्टॉपेज तय है. ऐसी स्थिति में क्या लोको पायलट ट्रेन को बीच में ही छोड़कर चल देगा? नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं होता है. रेलवे के अधिकारी के अनुसार, अगर चालक की शिफ्ट पूरी हो गई है लेकिन स्टेशन अभी दूर है तो वही उस ट्रेन को लेकर अगले निर्धारित स्टॉप तक लेकर जाएगा. इसे ओवरटाइम में गिना जाएगा. चालक को इस ओवरटाइम का अलग से भुगतान किया जाए