08-29-2023, 09:42 AM
Success Story of Arunabh Sinha: लाखों की नौकरी छोड़कर बिहार के अरुणाभ सिन्हा लॉन्ड्री का काम शुरू किया। रिश्तेदारों ने ताना मारा कि आईआईटी लड़का दूसरों के गंदे कपड़े धोएगा?
नई दिल्ली: कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, काम तो बस काम होता है। ये बात वो लोग नहीं समझ पाते, जो इंसान की परख उसके काम से करते हैं। बिहार के रहने वाले अरुणाभ सिन्हा (Arunabh Sinha) ने लोगों की इसी सोच को बदलने की कोशिश की। वो न तो धोबी थे और न ही उनकी फैमिली में कोई ऐसा बैकग्राउंड था। लेकिन, फिर भी उन्होंने कपड़े धोने का काम शुरू किया। IIT की डिग्री और हाथ में 84 लाख की सैलरी पैकेज...अरुणाभ ने नौकरी छोड़कर अपना लॉन्ड्री बिजनेस शुरू करने का फैसला किया। अच्छी खासी नौकरी छोड़कर लोगों के गंदे कपड़े धोना आसान फैसला नहीं था, लेकिन अरुणाभ ने लोगों के कपड़े को धोकर अपनी किस्मत चमका ली। आज बात करेंगे UClean स्टार्टअप के फाउंडर अरुणाभ सिन्हा (Arunabh Sinha) की।
कौन हैं अरुणाभ सिन्हा
अरुणाभ सिन्हा बिहार में भागलपुर जिले के रहने वाले हैं। पिता एक साधारण टीचर हैं और मां हाउस वाइफ। पिता की सैलरी बहुत कम थी। छोटे से घर में पूरा परिवार रहता था। स्कूल जाने के लिए अरुणाभ को रोज 5 से 6 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था। वो पढ़ने में बहुत तेज थे। 8वीं कक्षा से ही आईआईटी की तैयारी कर रहे थे। खुद आठवीं में थे, लेकिन 11वीं-12वीं के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे। 12वीं के बाद उन्हें आईआईटी बॉम्बे में दाखिला मिल गया। उस वक्त कॉलेज की फीस भरने तक के पैसे नहीं थे। मां ने अपनी शादी के कंगन बेचकर कॉलेज की फीस भरी। पढ़ाई पूरी करने के बाद विदेश में नौकरी लग गई। सालाना सैलरी 84 लाख रुपये। साल 2015 में शादी हुई। जब बढ़िया चल रहा था। इस दौरान कई बड़ी कंपनियों में काम किया, लेकिन उनका मन अपना काम शुरू करने की तलाश में जुटा था।
टीचर का बेटा होकर धोबी का काम?
आईआईटी से निकलने के बाद भी उन्होंने छोटा सा बिजनेस किया था, नाम था Franglobal। हालांकि साल 2015 में अरुणाभ ने अपनी यह कंपनी बेच दी और ट्रिबो होटल्स के साथ जुड़ गए। यहीं से उन्हें लॉन्ड्री का बिजनेस शुरू करने का आइडिया मिला। जब उन्हें पता चला की होटलों में 60 फीसदी शिकायत लॉन्ड्री से जुड़ी होती है। इसी से प्रेरित हो कर उन्होंने अपनी लॉन्ड्री शुरू करने का फैसला किया। साल 2017 में Uclean की शुरुआत की। कंपनी ने पहला स्टोर दिल्ली के वसंत कुंज में खोला। हालांकि उनके घर वालों को ये काम पसंद नहीं था। रिश्तेदार उन्हें ताना देते थे कि टीचर का बेटा होकर दूसरों के गंदे कपड़े धोएगा, लेकिन अरुणाभ पर इन बातों को असर नहीं हुआ।
आज 110 करोड़ की कंपनी
अरुणाभ ने लोगों के बातों का अनसुना किया, जिसके कारण ही आज वो एक सफल स्टार्टअप चला रहे हैं। आज 125 से अधिक शहरों में उनके 350 से ज्यादा आउटलेट्स हैं। अरुणाभ ने यूक्लीन के जरिए लॉड्री बिजनेस को ऑर्गेनाइज्ड करने का काम किया है। टेक्नोलॉजी, ऐप की मदद से ऑनलाइन गंदे कपड़ों को कस्टमर से लॉन्ड्री तक जोड़ा है। आज वो सिर्फ फ्रेंचाइजी बेचकर 5 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं। इसके अलावा 7 फीसदी रॉयल्टी फीस। अपने हर स्टोर से वो हर महीने 3-3.5 लाख रुपये कमा लेते हैं। अरुणाभ की कंपनी आज 110 करोड़ रुपये की हो चुकी है।
नई दिल्ली: कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, काम तो बस काम होता है। ये बात वो लोग नहीं समझ पाते, जो इंसान की परख उसके काम से करते हैं। बिहार के रहने वाले अरुणाभ सिन्हा (Arunabh Sinha) ने लोगों की इसी सोच को बदलने की कोशिश की। वो न तो धोबी थे और न ही उनकी फैमिली में कोई ऐसा बैकग्राउंड था। लेकिन, फिर भी उन्होंने कपड़े धोने का काम शुरू किया। IIT की डिग्री और हाथ में 84 लाख की सैलरी पैकेज...अरुणाभ ने नौकरी छोड़कर अपना लॉन्ड्री बिजनेस शुरू करने का फैसला किया। अच्छी खासी नौकरी छोड़कर लोगों के गंदे कपड़े धोना आसान फैसला नहीं था, लेकिन अरुणाभ ने लोगों के कपड़े को धोकर अपनी किस्मत चमका ली। आज बात करेंगे UClean स्टार्टअप के फाउंडर अरुणाभ सिन्हा (Arunabh Sinha) की।
कौन हैं अरुणाभ सिन्हा
अरुणाभ सिन्हा बिहार में भागलपुर जिले के रहने वाले हैं। पिता एक साधारण टीचर हैं और मां हाउस वाइफ। पिता की सैलरी बहुत कम थी। छोटे से घर में पूरा परिवार रहता था। स्कूल जाने के लिए अरुणाभ को रोज 5 से 6 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था। वो पढ़ने में बहुत तेज थे। 8वीं कक्षा से ही आईआईटी की तैयारी कर रहे थे। खुद आठवीं में थे, लेकिन 11वीं-12वीं के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे। 12वीं के बाद उन्हें आईआईटी बॉम्बे में दाखिला मिल गया। उस वक्त कॉलेज की फीस भरने तक के पैसे नहीं थे। मां ने अपनी शादी के कंगन बेचकर कॉलेज की फीस भरी। पढ़ाई पूरी करने के बाद विदेश में नौकरी लग गई। सालाना सैलरी 84 लाख रुपये। साल 2015 में शादी हुई। जब बढ़िया चल रहा था। इस दौरान कई बड़ी कंपनियों में काम किया, लेकिन उनका मन अपना काम शुरू करने की तलाश में जुटा था।
टीचर का बेटा होकर धोबी का काम?
आईआईटी से निकलने के बाद भी उन्होंने छोटा सा बिजनेस किया था, नाम था Franglobal। हालांकि साल 2015 में अरुणाभ ने अपनी यह कंपनी बेच दी और ट्रिबो होटल्स के साथ जुड़ गए। यहीं से उन्हें लॉन्ड्री का बिजनेस शुरू करने का आइडिया मिला। जब उन्हें पता चला की होटलों में 60 फीसदी शिकायत लॉन्ड्री से जुड़ी होती है। इसी से प्रेरित हो कर उन्होंने अपनी लॉन्ड्री शुरू करने का फैसला किया। साल 2017 में Uclean की शुरुआत की। कंपनी ने पहला स्टोर दिल्ली के वसंत कुंज में खोला। हालांकि उनके घर वालों को ये काम पसंद नहीं था। रिश्तेदार उन्हें ताना देते थे कि टीचर का बेटा होकर दूसरों के गंदे कपड़े धोएगा, लेकिन अरुणाभ पर इन बातों को असर नहीं हुआ।
आज 110 करोड़ की कंपनी
अरुणाभ ने लोगों के बातों का अनसुना किया, जिसके कारण ही आज वो एक सफल स्टार्टअप चला रहे हैं। आज 125 से अधिक शहरों में उनके 350 से ज्यादा आउटलेट्स हैं। अरुणाभ ने यूक्लीन के जरिए लॉड्री बिजनेस को ऑर्गेनाइज्ड करने का काम किया है। टेक्नोलॉजी, ऐप की मदद से ऑनलाइन गंदे कपड़ों को कस्टमर से लॉन्ड्री तक जोड़ा है। आज वो सिर्फ फ्रेंचाइजी बेचकर 5 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं। इसके अलावा 7 फीसदी रॉयल्टी फीस। अपने हर स्टोर से वो हर महीने 3-3.5 लाख रुपये कमा लेते हैं। अरुणाभ की कंपनी आज 110 करोड़ रुपये की हो चुकी है।