09-12-2023, 08:51 AM
सार
Bullet Train Project: न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एमएम सथाये की खंडपीठ कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर (भूमि अधिग्रहण) को मुआवजा बढ़ाने की कंपनी की अर्जी पर भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (एलएआरआर) प्राधिकरण को निर्देश देने की मांग की गई थी।
विस्तार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह गोदरेज एंड बॉयस कंपनी की उस अर्जी पर एक महीने के भीतर फैसला करे जिसमें मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए उपनगर विक्रोली में अपनी जमीन के अधिग्रहण के लिए दिए गए मुआवजे को बढ़ाने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एमएम सथाये की खंडपीठ कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर (भूमि अधिग्रहण) को मुआवजा बढ़ाने की कंपनी की अर्जी पर भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (एलएआरआर) प्राधिकरण को निर्देश देने की मांग की गई थी।
पीठ ने संबंधित राज्य सरकार के अधिकारियों को कंपनी के आवेदन पर 30 दिन के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया। बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए मुंबई के विक्रोली इलाके में कंपनी के स्वामित्व वाली जमीन के अधिग्रहण को लेकर कंपनी और सरकार के बीच 2019 से कानूनी विवाद चल रहा है।
गोदरेज की दलील थी कि शुरुआत में मुआवजा 572 करोड़ रुपये तय किया गया था, लेकिन जब अंतिम फैसला पारित किया गया तो मुआवजे की राशि घटाकर 264 करोड़ रुपये कर दी गई। कंपनी अब मुआवजा राशि बढ़ाकर 993 करोड़ रुपये करने की मांग कर रही है। इस साल फरवरी में उच्च न्यायालय ने अधिग्रहण की कार्यवाही को चुनौती देने वाली कंपनी की याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने तब यह भी कहा कि वह कंपनी को दिए गए मुआवजे को बढ़ाने की मांग पर सुनवाई के लिए तैयार है।
Bullet Train Project: न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एमएम सथाये की खंडपीठ कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर (भूमि अधिग्रहण) को मुआवजा बढ़ाने की कंपनी की अर्जी पर भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (एलएआरआर) प्राधिकरण को निर्देश देने की मांग की गई थी।
विस्तार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह गोदरेज एंड बॉयस कंपनी की उस अर्जी पर एक महीने के भीतर फैसला करे जिसमें मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए उपनगर विक्रोली में अपनी जमीन के अधिग्रहण के लिए दिए गए मुआवजे को बढ़ाने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एमएम सथाये की खंडपीठ कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर (भूमि अधिग्रहण) को मुआवजा बढ़ाने की कंपनी की अर्जी पर भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (एलएआरआर) प्राधिकरण को निर्देश देने की मांग की गई थी।
पीठ ने संबंधित राज्य सरकार के अधिकारियों को कंपनी के आवेदन पर 30 दिन के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया। बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए मुंबई के विक्रोली इलाके में कंपनी के स्वामित्व वाली जमीन के अधिग्रहण को लेकर कंपनी और सरकार के बीच 2019 से कानूनी विवाद चल रहा है।
गोदरेज की दलील थी कि शुरुआत में मुआवजा 572 करोड़ रुपये तय किया गया था, लेकिन जब अंतिम फैसला पारित किया गया तो मुआवजे की राशि घटाकर 264 करोड़ रुपये कर दी गई। कंपनी अब मुआवजा राशि बढ़ाकर 993 करोड़ रुपये करने की मांग कर रही है। इस साल फरवरी में उच्च न्यायालय ने अधिग्रहण की कार्यवाही को चुनौती देने वाली कंपनी की याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने तब यह भी कहा कि वह कंपनी को दिए गए मुआवजे को बढ़ाने की मांग पर सुनवाई के लिए तैयार है।