08-28-2023, 12:37 PM
Kanpur News: देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि लोग गंगा जमुना तहजीब का जिक्र करते हैं, हम उसकों ढूंढ रहे। मस्जिद से जुड़े पदाधिकारी एवं मुस्लिम धर्मगुरू भाईचारा दिखाते हुए इस दिशा में पहल करें।
विस्तार
हमारे आराध्य भगवान श्रीकृष्ण केशवदेव की प्रतिमाएं आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबी हुई हैं। वर्षों से उन पर पैर रखकर दूसरे धर्म के लोग अपनी इबादत के लिए जा रहे हैं। यह देश के सौ करोड़ से ज्यादा सनातनियों का अपमान है। इसे रोकने के लिए हम हर प्रकार से सवैधानिक और आपसी सहमति के विकल्पों से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन फिर भी हमारी भावनाओं को नहीं समझा जा रहा है।
न्यायालय को भी भ्रमित कर लगातार गुमराह किया जा रहा है। स्कूलों में कल्चरल फंक्शन के नाम पर बच्चियों से फिल्मी गीतों पर डांस करवाया जाता है। भजनों पर नृत्य क्यों नहीं करवाते हैं। संस्कृत की किताबें बंद कर रहे हैं, रामचरितमानस, धार्मिक ग्रंथ हटाया गया। स्कूल सरस्वती के मंदिर थे, जो अब स्कूल बॉलीवुड के मंदिर हो गए है। मैं एक शादी करूं या न करुं। हम तो दो बच्चे पैदा करते हैं, आप 40 बच्चें क्यों करते हो।
मथुरा के मंदिर को सौंपने की मांग
ये बातें पांडुनगर स्थित एक निवास पर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने कहीं। उन्होंने कहा कि मई 2023 में हमारी ओर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थित भगवान केशवदेव मंदिर प्राचीन विग्रह, आगरा फोर्ट स्थित जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे होने के दावे के साथ आगरा कोर्ट में याचिका दायर की गई थी । हमने न्यायालय से इन मूर्तियों को वापस मथुरा के मंदिर को सौंपने की मांग की है।
गंगा जमुना तहसीब सिर्फ दिखावा
उन्होंने कहा कि पूर्व मीडिया के माध्यम से भी मुस्लिम पक्षों को पांच दिन के लिए आपसी वार्ता के लिए आग्रह किया था, जिससे इस संवेदनशील विवाद को उचित जांच कराकर समाप्त किया जा सके, लेकिन उसका भी कोई रिस्पांस नहीं मिला। लोग गंगा जमुना तहजीब का जिक्र करते हैं, हम उसकों ढूंढ रहे। मस्जिद से जुड़े पदाधिकारी एवं मुस्लिम धर्मगुरू भाईचारा दिखाते हुए इस दिशा में पहल करें।
विस्तार
हमारे आराध्य भगवान श्रीकृष्ण केशवदेव की प्रतिमाएं आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबी हुई हैं। वर्षों से उन पर पैर रखकर दूसरे धर्म के लोग अपनी इबादत के लिए जा रहे हैं। यह देश के सौ करोड़ से ज्यादा सनातनियों का अपमान है। इसे रोकने के लिए हम हर प्रकार से सवैधानिक और आपसी सहमति के विकल्पों से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन फिर भी हमारी भावनाओं को नहीं समझा जा रहा है।
न्यायालय को भी भ्रमित कर लगातार गुमराह किया जा रहा है। स्कूलों में कल्चरल फंक्शन के नाम पर बच्चियों से फिल्मी गीतों पर डांस करवाया जाता है। भजनों पर नृत्य क्यों नहीं करवाते हैं। संस्कृत की किताबें बंद कर रहे हैं, रामचरितमानस, धार्मिक ग्रंथ हटाया गया। स्कूल सरस्वती के मंदिर थे, जो अब स्कूल बॉलीवुड के मंदिर हो गए है। मैं एक शादी करूं या न करुं। हम तो दो बच्चे पैदा करते हैं, आप 40 बच्चें क्यों करते हो।
मथुरा के मंदिर को सौंपने की मांग
ये बातें पांडुनगर स्थित एक निवास पर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने कहीं। उन्होंने कहा कि मई 2023 में हमारी ओर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थित भगवान केशवदेव मंदिर प्राचीन विग्रह, आगरा फोर्ट स्थित जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे होने के दावे के साथ आगरा कोर्ट में याचिका दायर की गई थी । हमने न्यायालय से इन मूर्तियों को वापस मथुरा के मंदिर को सौंपने की मांग की है।
हमें केवल तारीखें ही मिल रही हैं
न्यायालय ने इस संबंध में 4 प्रतिवादियों को अपना पक्ष रखने मौका देते हुए नोटिस जारी किए थे। सितंबर में इस वाद को पांच महीने हो जाएंगे, लेकिन मुस्लिम पक्ष के जानबूझकर मामले को खींचने से हमें केवल तारीखें ही मिल रही हैं। 25 अगस्त को इसकी पांचवी तारीख थी, जिस पर केवल आगरा मस्जिद की इंताजामिया कमेटी हाजिर हुई, लेकिन उसने भी अभी कोई नोटिस नहीं मिलने की कहकर आगे की तारीख ले ली।
न्यायालय ने इस संबंध में 4 प्रतिवादियों को अपना पक्ष रखने मौका देते हुए नोटिस जारी किए थे। सितंबर में इस वाद को पांच महीने हो जाएंगे, लेकिन मुस्लिम पक्ष के जानबूझकर मामले को खींचने से हमें केवल तारीखें ही मिल रही हैं। 25 अगस्त को इसकी पांचवी तारीख थी, जिस पर केवल आगरा मस्जिद की इंताजामिया कमेटी हाजिर हुई, लेकिन उसने भी अभी कोई नोटिस नहीं मिलने की कहकर आगे की तारीख ले ली।
आवागमन पूरी तरह से रोका जाए
हालांकि न्यायालय से कई बार नोटिस और निजी रूप से सभी पक्षों को वाद की जानकारी दी गई। स्पष्ट है कि दूसरा पक्ष सनातनियों की भावनाओं को गंभीरता से नहीं ले रहा और न्यायालय को भी गुमराह कर रहा है। अगली तारीख 21 सितंबर लगी है। हमारी मांग है, तब तक मस्जिद की सीढ़ियों की जांच न हो जाए उन पर आवागमन पूरी तरह से रोका जाए।
हालांकि न्यायालय से कई बार नोटिस और निजी रूप से सभी पक्षों को वाद की जानकारी दी गई। स्पष्ट है कि दूसरा पक्ष सनातनियों की भावनाओं को गंभीरता से नहीं ले रहा और न्यायालय को भी गुमराह कर रहा है। अगली तारीख 21 सितंबर लगी है। हमारी मांग है, तब तक मस्जिद की सीढ़ियों की जांच न हो जाए उन पर आवागमन पूरी तरह से रोका जाए।
गंगा जमुना तहसीब सिर्फ दिखावा
उन्होंने कहा कि पूर्व मीडिया के माध्यम से भी मुस्लिम पक्षों को पांच दिन के लिए आपसी वार्ता के लिए आग्रह किया था, जिससे इस संवेदनशील विवाद को उचित जांच कराकर समाप्त किया जा सके, लेकिन उसका भी कोई रिस्पांस नहीं मिला। लोग गंगा जमुना तहजीब का जिक्र करते हैं, हम उसकों ढूंढ रहे। मस्जिद से जुड़े पदाधिकारी एवं मुस्लिम धर्मगुरू भाईचारा दिखाते हुए इस दिशा में पहल करें।