09-22-2023, 08:38 AM
आरबीआई ने गुरुवार को इच्छुक डिफॉल्ट से जुड़े नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा। नए नियमों के तहत जिस व्यक्ति पर 25 लाख रुपये से अधिक का बकाया है और भुगतान करने में सक्षम होने के बावजूद भुगतान करने से इनकार करता है उसे इच्छुक अपराधी माना जाएगा। केंद्रीय बैंक ने इस मामले पर तैयार मसौदे पर जनता की राय मांगी है।
नई दिल्ली, जेएनएन: आरबीआई ने गुरुवार को जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफाल्टर) से जुड़े मानदंडों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है।
नए मानदंडों के तहत ऐसे व्यक्ति को भी विलफुट डिफाल्टर माना जाएगा, जिस पर 25 लाख से अधिक की राशि बकाया है और भुगतान करने की क्षमता होने के बावजूद वह इससे आनाकानी कर रहा है।
आरबीआई ने लोगो से मांगी राय
केंद्रीय बैंक ने इस संबंध में तैयार किए गए मसौदे पर आमलोगों से राय मांगी है। मसौदे में कहा गया है कि जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले रीस्ट्रक्चरिंग यानी लोन पुनर्गठन के पात्र नहीं होंगे और किसी अन्य कंपनी के बोर्ड में शामिल नहीं हो सकेंगे।
मसौदे में यह भी कहा गया है कि एक बार विलफुल डिफाल्टर घोषित होने के बाद कर्जदाता उसके खिलाफ कहीं से भी वसूली के लिए उधारकर्ता और गारंटर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकेगा। उधारकर्ता के खाते के एनपीए होने के छह महीने के भीतर उसे विलफुल डिफाल्टर की श्रेणी में लाना होगा।
आरबीआई के पास पहले नहीं थी कोई समयसीमा
इससे पहले आरबीआई के पास विलफुल डिफाल्टर की पहचान करने की कोई विशेष समयसीमा नहीं थी। आरबीआई ने गैर वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को भी इस तरह के मापदंडों का उपयोग करके विलफुल डिफाल्टर की पहचान करने की मंजूरी देने की बात कही है।
आरबीआई ने मसौदे में इस बात का भी सुझाव दिया है कि बैंकों को एक समीक्षा समिति का भी गठन करना चाहिए और कर्जधारक को लिखित में अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिनों का समय देना चाहिए। जरूरत पड़े तो उसे व्यक्तिगत सुनवाई का भी मौका देना चाहिए।
नई दिल्ली, जेएनएन: आरबीआई ने गुरुवार को जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफाल्टर) से जुड़े मानदंडों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है।
नए मानदंडों के तहत ऐसे व्यक्ति को भी विलफुट डिफाल्टर माना जाएगा, जिस पर 25 लाख से अधिक की राशि बकाया है और भुगतान करने की क्षमता होने के बावजूद वह इससे आनाकानी कर रहा है।
आरबीआई ने लोगो से मांगी राय
केंद्रीय बैंक ने इस संबंध में तैयार किए गए मसौदे पर आमलोगों से राय मांगी है। मसौदे में कहा गया है कि जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले रीस्ट्रक्चरिंग यानी लोन पुनर्गठन के पात्र नहीं होंगे और किसी अन्य कंपनी के बोर्ड में शामिल नहीं हो सकेंगे।
मसौदे में यह भी कहा गया है कि एक बार विलफुल डिफाल्टर घोषित होने के बाद कर्जदाता उसके खिलाफ कहीं से भी वसूली के लिए उधारकर्ता और गारंटर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकेगा। उधारकर्ता के खाते के एनपीए होने के छह महीने के भीतर उसे विलफुल डिफाल्टर की श्रेणी में लाना होगा।
आरबीआई के पास पहले नहीं थी कोई समयसीमा
इससे पहले आरबीआई के पास विलफुल डिफाल्टर की पहचान करने की कोई विशेष समयसीमा नहीं थी। आरबीआई ने गैर वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को भी इस तरह के मापदंडों का उपयोग करके विलफुल डिफाल्टर की पहचान करने की मंजूरी देने की बात कही है।
आरबीआई ने मसौदे में इस बात का भी सुझाव दिया है कि बैंकों को एक समीक्षा समिति का भी गठन करना चाहिए और कर्जधारक को लिखित में अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिनों का समय देना चाहिए। जरूरत पड़े तो उसे व्यक्तिगत सुनवाई का भी मौका देना चाहिए।