04-06-2023, 09:44 AM
प्रेजेंटेशन में अडानी ग्रुप की लिस्टिड और प्राइवेट दोनों तरह की कंपनियों के ट्रांजेक्शन के साथ ओफशोर कंपनीज, विदेशी पोर्टफोलियो इंवेस्टर होल्डिंग्स और मिनिमम स्टॉक मार्केट फ्लोट्स - को भी शामिल किया गया.
भारत के कैपिटल मार्केट के रेगुलेटर ने 2 अप्रैल को अडानी ग्रुप पर 25 जनवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित छह सदस्यीय समिति के सामने एक डिटेल्ड प्रेजेंटेशन सामने रखा है. जानकारी के अनुसार इन लोगों ने कहा कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच की ओर से दी गई ब्रीफिंग काफी अहम मानी जा रही है.
अब से, जब तक आवश्यक न हो, वह समिति के सामने नहीं होंगी. वैसे सेबी छह सदस्यीय समिति को सभी आवश्यक जानकारी देती रहेगी. प्रेजेंटेशन में अडानी ग्रुप की लिस्टिड और प्राइवेट दोनों तरह की कंपनियों के ट्रांजेक्शन के साथ ओफशोर कंपनीज, विदेशी पोर्टफोलियो इंवेस्टर होल्डिंग्स और मिनिमम स्टॉक मार्केट फ्लोट्स – को भी शामिल किया गया.
स्टॉक एक्सचेंज डेटा
बुच ने पैनल को रेगुलेटेड शॉर्ट-सेलिंग पॉलिसी (जिसे 2007 में सेबी द्वारा पेश किया गया था) और मेन इंटरनेशनल कोर्ट में अपनाई जाने वाली पॉलिसी के बारे में जानकारी दी. सेबी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले और बाद में अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के बायर्स और सेलर्स पर स्टॉक एक्सचेंजों से डेटा कलेक्ट किया है, ताकि यह जांचा जा सके कि क्या स्टॉक की कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के पीछे कोई कार्टेल था.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि उसने यूएस-ट्रेडेड बॉन्ड और नॉन-इंडियन ट्रेडेड डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए अडानी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट पोजिशन ली थी. सेबी प्रमुख ने रेगुलेटर के मौजूदा इंवेस्टर प्रोटेक्शन मैकेनिज्म और उन्हें और मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है, के बारे में बात की.
जानकारी के अनुसार बुच ने सिक्योरिटी मार्केट से संबंधित किसी भी चूक के साथ-साथ “हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले और बाद में” बाजार गतिविधि से संबंधित किसी भी चूक के लिए अडानी समूह की जांच के लिए एक कोर टीम का गठन किया है. यह टीम समिति को आवश्यक सहयोग देगी. बाजार नियामक को अपनी जांच समाप्त करने और दो महीने के भीतर अदालत द्वारा नियुक्त समिति को अपने निष्कर्ष देने को कहा गया है.
इंवेस्टर प्रोटेक्शन
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति को हिंडनबर्ग रिपोर्ट की वजह से आई अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट के बाद भारत के इंवेस्टर प्रोटेक्शन रेगुलेटर फ्रेमवर्क को मजबूत करने के उपाय देना है और सुझाप देना भी शामिल हैं. वास्तव में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर “स्टॉक प्राइस मैन्युपुलेशन” और “अकाउंटिंग फ्रॉड” का आरोप लगाया गया था.
कमेटी में कौन-कौन
पैनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एएम सप्रे कर रहे हैं और इसमें पूर्व बैंकर केवी कामथ और ओपी भट्ट, इंफोसिस के को—फाउंडर नंदन नीलेकणि, सिक्योरिटीज लॉयर सोमशेखर सुंदरसन और रिटायर हाईकोर्ट जज जेपी देवधर शामिल हैं. 25 जनवरी के बाद से, अडानी ग्रुप की कंपनियों ने आरोपों से इनकार करने के बावजूद मार्केट कैप में 125 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने जांच पैनल का स्वागत किया है.
भारत के कैपिटल मार्केट के रेगुलेटर ने 2 अप्रैल को अडानी ग्रुप पर 25 जनवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित छह सदस्यीय समिति के सामने एक डिटेल्ड प्रेजेंटेशन सामने रखा है. जानकारी के अनुसार इन लोगों ने कहा कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच की ओर से दी गई ब्रीफिंग काफी अहम मानी जा रही है.
अब से, जब तक आवश्यक न हो, वह समिति के सामने नहीं होंगी. वैसे सेबी छह सदस्यीय समिति को सभी आवश्यक जानकारी देती रहेगी. प्रेजेंटेशन में अडानी ग्रुप की लिस्टिड और प्राइवेट दोनों तरह की कंपनियों के ट्रांजेक्शन के साथ ओफशोर कंपनीज, विदेशी पोर्टफोलियो इंवेस्टर होल्डिंग्स और मिनिमम स्टॉक मार्केट फ्लोट्स – को भी शामिल किया गया.
स्टॉक एक्सचेंज डेटा
बुच ने पैनल को रेगुलेटेड शॉर्ट-सेलिंग पॉलिसी (जिसे 2007 में सेबी द्वारा पेश किया गया था) और मेन इंटरनेशनल कोर्ट में अपनाई जाने वाली पॉलिसी के बारे में जानकारी दी. सेबी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले और बाद में अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के बायर्स और सेलर्स पर स्टॉक एक्सचेंजों से डेटा कलेक्ट किया है, ताकि यह जांचा जा सके कि क्या स्टॉक की कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के पीछे कोई कार्टेल था.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि उसने यूएस-ट्रेडेड बॉन्ड और नॉन-इंडियन ट्रेडेड डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए अडानी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट पोजिशन ली थी. सेबी प्रमुख ने रेगुलेटर के मौजूदा इंवेस्टर प्रोटेक्शन मैकेनिज्म और उन्हें और मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है, के बारे में बात की.
जानकारी के अनुसार बुच ने सिक्योरिटी मार्केट से संबंधित किसी भी चूक के साथ-साथ “हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले और बाद में” बाजार गतिविधि से संबंधित किसी भी चूक के लिए अडानी समूह की जांच के लिए एक कोर टीम का गठन किया है. यह टीम समिति को आवश्यक सहयोग देगी. बाजार नियामक को अपनी जांच समाप्त करने और दो महीने के भीतर अदालत द्वारा नियुक्त समिति को अपने निष्कर्ष देने को कहा गया है.
इंवेस्टर प्रोटेक्शन
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति को हिंडनबर्ग रिपोर्ट की वजह से आई अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट के बाद भारत के इंवेस्टर प्रोटेक्शन रेगुलेटर फ्रेमवर्क को मजबूत करने के उपाय देना है और सुझाप देना भी शामिल हैं. वास्तव में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर “स्टॉक प्राइस मैन्युपुलेशन” और “अकाउंटिंग फ्रॉड” का आरोप लगाया गया था.
कमेटी में कौन-कौन
पैनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एएम सप्रे कर रहे हैं और इसमें पूर्व बैंकर केवी कामथ और ओपी भट्ट, इंफोसिस के को—फाउंडर नंदन नीलेकणि, सिक्योरिटीज लॉयर सोमशेखर सुंदरसन और रिटायर हाईकोर्ट जज जेपी देवधर शामिल हैं. 25 जनवरी के बाद से, अडानी ग्रुप की कंपनियों ने आरोपों से इनकार करने के बावजूद मार्केट कैप में 125 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने जांच पैनल का स्वागत किया है.